Vishal chauhan

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राहत साहब के लहज़े में एक शायरी

उँगलियाँ यूँ ना सब पर उठाया करो,
दाग़ हमारे हैं तो हमीं पर लगाया करो,
क्यों जाते हो दूसरों की बारिशों में भीगने को,
इश्क़ की बौछारें कभी हमपर भी बरसाया करो....

कब तलक बैठूँ मैं यूँही इंतज़ार में,
कभी तुम भी बिन मतलब मिल जाया करो,
हाल क्या बताएँ हम इस अहल-ए-महफ़िल को,
इश्क़ की बात कर यूँ ना शरमाया करो.....

©Vishal chauhan

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6 Comments

Khushi jha

11-Oct-2021 12:09 PM

क्या खुब

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Shalini Sharma

09-Oct-2021 09:12 PM

Beautiful

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Swati chourasia

09-Oct-2021 09:02 PM

Very nice

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